Monday, October 21, 2019

राजनय का तात्पर्य एवं उद्देश्य तथा राजनयिक नीतियां वे चालें

राजनय का तात्पर्य :-
                             राजनय एक बहू अर्थी शब्द हैं भिन -भिन  स्थितियों को स्पष्ट करने हेतु इसका उपयोग किया गया है राजनय शब्द की विभिन्न अर्थों में पहचान की है |
(1) विदेश नीति का पर्यायवाची शब्द |
(2) वार्ता अथवा विचार - विमर्श की स्थिति |
(3) अंतर राज्य संचार से संबंधित विदेश -सेवा की विशेष शाखा |
(4) प्रस्तुतीकरण की विशेष कला |

* शब्द उत्पत्ति के आधार पर :-
                                          राजनय शब्द की उत्पत्ति यूनानी क्रिया डिप्लोन ( डिप्लॉन ) जिसका तात्पर्य है  तह करना | लेटिन संज्ञा डिप्लोमा ( डिप्लोमा )  उत्पत्ति मूलक  है जिसका अर्थ है  दोहरा अभिलेख यद्यपि दोनों ही शब्द किसी गोपनीय पत्र  को ही इंगित करते हैं | राजनय के रूप में विकसित इस नवीन शब्द का अर्थ अन्य राज्यों से संपर्क करने हेतु नियुक्त व्यक्ति के कार्य करने की कला माना जाने लगा | 18 वीं शताब्दी के अंत तक राजनय  शब्द का आम प्रयोग होने लगा था |

* पद्धति के आधार पर :-
                                    राजनय को एक पद्धति के रूप में परिभाषित करने वाले विचारकों मे साटो,  हेराल्डे का नाम अग्रणी है | निकोल्सन के मतानुसार राजनय अंतर्राष्ट्रीय  प्रक्रिया की वह पद्धति है जिसमें योग्य एवं माननीय प्रतिनिधियों द्वारा राज्यों के मध्य वार्ता का संचालन किया जाता है |

* लक्ष्य या कार्य के आधार पर :-
                                           राजनय द्वारा संपादित कार्यों को आधार मानकर, राजनय को परिभाषित करने वालों में ई. एम. जॉन्सन  एवं डॉ. गार्डन प्रमुख विचारक है  | राजनय अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अधिकेंद्रों पर प्रभाव डालने वाली  शक्तियों के मापने का एक जटिल वे नाजुक उपकरण है | तब जटिल यंत्र के रूप में राजनय  माध्यम से ऐसे विवादों गलतफहमियां मतविभिनताओ  जिनके कारण अंतरराष्ट्रीय समस्याएं गंभीर रूप धारण कर लेती है

* राजनय व  विदेश नीति :-
                                     विदेश नीति के क्रियान्वयन  में साधन के रूप में राजनय की ही महती भूमिका को लेकर जैसे विचारकों मैं विदेश नीति वे राजनय को समरूप मान लिया है |
 *राजनय के नियत कार्य माने हैं :-
                                      • स्वशक्ति के संदर्भ में राष्ट्रीय लक्ष्यों का निर्धारण |
                                      • अन्य राष्ट्रों के लक्ष्यों का मूल्यांकन |
                                      • लक्ष्यों के क्रियान्वयन हेतु उपयुक्त साधनों का प्रयोग |
* राजनय का युग :-
                           व्यवसाय के रूप में राजनय का इतिहास अत्यंत प्राचीन है छोटे पक्षियों के मध्य आखेट क्षेत्र की सीमा को दृष्टिगत रखकर निकोल्सन राजनय को इतिहास का पूर्वर्ती मानता है |

* राजनय के उद्देश्य :-
                                • प्रधान राजनीतिक उद्देश्य
                                • प्रधान अराजनीतिक  उद्देश्य
                                • गौण उद्देश्य |
 * राजनयिक नीतियां वे चालें :-
                                        राजनयज्ञों द्वारा समझौता वार्ता के समय अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण हेतु कुछ चालू और परिस्थितियों के विश्लेषण शर्तों के प्रस्तुतिकरण एवं लक्ष्यों के स्पष्टीकरण हेतु कुछ  नीतियों का सहारा लिया जाता है |

* चाले :-
( 1 ) किसी विशेष परिस्थिति का निर्माण एवं दोहन |
( 2 ) समझौता वार्ता की अवधि में वृदि का प्रयास |
( 3 )  दुष्प्रचार |
( 4 ) आंतरिक अस्वीकृति की चाल |

* नीतियां :-
   ( 1 )  समझाव बुझाव |
  ( 2 ) पुरस्कार प्रदान करना |
  ( 3 ) हिंसक व अहिंसक दंड की धमकी देना |
  ( 4 ) अहिंसक दंड देना |
  ( 5 ) बल -प्रयोग |



* राजनय की भूमिका :-
                            ( 1 ) अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का गठन :-  गुप्त एवं प्रकट राजनय के युग में क्रमश: शक्ति संतुलन व्यवस्था एवं सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था के निर्माण में राजनय की पहली भूमिका रही है मंत्री संबंधों में परिवर्तन करके शक्ति संतुलन को संतुलित करने एवं राष्ट्रों की युद्ध लोलुपता को नियंत्रित करने हेतु राष्ट्र संघ एवं संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना में राजनय का प्रमुख योगदान रहा है |
 ( 2 ) अंतरराष्ट्रीय कानून का निर्माण :- राज्यों के पारंपरिक  व्यवहार को व्यवस्थित रूप देने के उद्देश्य से प्रारंभ में बहुपक्षीय राजनय एवं 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध ऐसे सम्मेलन राजनय ने प्रभुसत्ता , राज्य मान्यता, आत्मरक्षा, अंतरराष्ट्रीय दायित्व, सहमति ,  सांस्कृतिक संपत्ति,   खुला समुंदर,  थल,  जल, नभ युद्ध संबंधी नियम निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया है
( 3 ) शांति युद्ध एवं मिश्रित अवस्था की स्थिति का निर्माण :- युद्ध मिश्रित शांति या भय -जन्य - संतुलन अर्थात शीत युद्ध की स्थिति में राजनय की भूमि का युद्ध निरोध समझाव बुझाव के रूप में दृष्टिगत होती है राजनय की संतुलन की शांति प्रभुत्व की शांति तथा साम्राज्य की शांति जैसी स्थितियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है
( 4 ) विश्व जनमत को  इच्छित दिशा देना :-  राष्ट्र दवारा राजनय का उपयोग विश्व में जनमत को  इच्छित दिशा देने हेतु भी किया जाता है द्वितीय महायुद्ध के पश्चात सो वित्तीय एवं पश्चिमी राजनय मैं इस हेतु प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है कि संसार में आज मानव की शासन संबंधी दो प्रबल विचारधाराएं विद्यमान है राजनय ने परस्पर विरोधी विचार करके शांति स्थापना हेतु विश्व जनमत को एक निश्चित दिशा प्रदान की है

* राजनय की सीमाएं :-
  ( 1 ) समस्या के संबंध में राष्ट्र की मान्यताएं |
  ( 2 ) अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का स्वरूप |
  ( 3 ) विपक्षी का सम्मान बलशाली होना |
 ( 4 ) जनमत वे दबाव गुटों का भय  |



                                         

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