* जॉन लॉक का जीवन परिचय :-
जॉन लॉक का जन्म 29 अगस्त 1632 को वेरिग्टन सोमरसेटशायर मैं हुआ उसका परिवार गृह युद्ध में संसदीय समर्थक लोगों के साथ रहा | लॉक को उसके परिवार के प्रभाव के कारण वेस्टमिन्जर स्कूल में प्रवेश मिल गया इस समय इस स्कूल का प्रधान रिचर्ड बुस्वी था जो की राजतंत्र समर्थक था अत : लॉक कोई अपने परिवार से पूर्णतः भिन्न पृष्ठभूमि एवं प्रभाव देखने को मिला किंतु रिचर्ड बुस्वी निरंतर मुझे देखने की अपेक्षा की कि उसके विद्यार्थी किस विचारधारा या किस मान्यता को मानने वाले हैं लॉक जीवन प्रियतम चलने वाली चिकित्सा तथा विज्ञान की रुचि एवं अनुभावात्मकता की प्रवृति इसी काल में विकसित हुई है |
* जॉन लॉक की प्रमुख रचनाएं:-
एसेज कंसर्निग ह्यूमन अंडरस्टेडिंग, लेटर्स कंसर्निग टॉलरेशन, थॉट कंसर्निग एजुकेशन एसेज ऑर दि. लॉ अफ नेचर, |
* जॉन लॉक की पुस्तकों में सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक:-
`` टू टीटाइसेज ऑन सिविल गवर्नमेंट ´´
*जॉन लॉक का राजनीतिक चिंतन :-
( 1 ) मानव प्रकृति एवं प्राकृतिक अवस्था:-
लॉक ने अपने राजनीतिक चिंतन का प्रारंभ होम्स की भांति प्राकृतिक अवस्था से ही प्रारंभ किया है लॉक का मानना है कि प्राकृतिक अवस्था की दो महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं प्रथम यह पूर्ण स्वतत्रता की अवस्था है इस अवस्था में व्यक्ति प्राकृतिक कानून की सीमाओं के अंदर जो चाहा कर सकता है लॉक के शब्दों में प्राकृतिक कानून की सीमाओं में रहते हुए किसी दूसरे मनुष्य की इच्छा या अनुमति से स्वंतत्र अपना कार्य करने की अपनी संपत्ति और व्यक्तित्व की अपनी इच्छा अनुसार व्यवस्था करने की पूर्ण स्वतंत्रता की अवस्था हो मनुष्य की स्वाभाविक अवस्था है लॉक मैं ऐसा नहीं है लोकी प्राकृतिक अवस्था ने तो आदर्शवादी है और ने ही युद्ध की अवस्था लोकी प्राकृतिक अवस्था की उल्लेखनीय विशेषता प्राकृतिक कानून का होना है जो उसे व्यवस्थाआत्मक रूप प्रदान करते हैं
( 2 ) समाज एवं सरकार की स्थापना :-
लॉक की प्राकृतिक अवस्था में असुविधाएं तो थी किंतु वे असहनीय नहीं थी लॉक की प्राकृतिक अवस्था तथा होम्स की प्रकृति अवस्था के सिद्धांत में हम यह यंत्र पाते हैं इस अंतर को स्वयं लॉक ने प्रकट करते हुए लिखा है प्राकृतिक अवस्था तथा युद्ध की अवस्था में यह स्पष्ट विभिनता है जिसे कुछ विचारकों ने स्वीकार नहीं किया है इन दोनों अवस्थाओं में उतनी ही विभिनता है ताकि नागरिक सम्मान का गठन किया जा सके तथा ऐसी संस्था को जन्म दिया जा सके जो इस अवस्था की कमियों को सुधारने में समर्थ हो इस उद्देश्य से ही व्यक्ति समझौता करते हैं इस समझौते के माध्यम से स्वतंत्र एवं सम्मान व्यक्ति अपने प्राकृतिक स्वतंत्रता का इसलिए परित्याग कर देते हैं ताकि प्राकृतिक कानून की सही व्याख्या हो सके समर्थ न्यायधीश हो तथा उन्हें लागू किया जा सके
( 3 ) सरकार के प्रकार :-
लॉक सरकार के प्रकारों का विवेचन करते हुए कहता है कि चुंकि प्रकृति अवस्था में कोई व्यवस्थित एवं सर्वमान्य कानून नहीं थे अत : एक कानून निर्मात्री इकाई होना आवश्यक है यह व्यवस्थापिका होगी यह प्रत्येक राज्य मे सर्वोच्च होती है लॉक के शब्दों में व्यवस्थापिका सत्ता वह सत्ता है जिसे राज्य की शक्ति का निर्देशन करने का अधिकार होता है कि किसी प्रकार व्यक्ति समाज और उसके सदस्यों की सुरक्षा के लिए लिए प्रयोग में लाई जाए साथ ही सरकार का स्वरूप इस बात पर निर्भर करता है की व्यवस्थापिका सत्ता का किस प्रकार से संचालन किया जाए लॉक ने लिखा है की सरकार का सबसे अच्छा रूप है जिसमें व्यवस्थापिका सत्ता ऐसे भिन्न-भिन्न व्यक्तियों को सौंपी जाए जो विधि पूर्वक सभा में एकत्रित हो
( 4 ) क्रांति का अधिकार तथा संप्रभुता की अवधारणा:-
न्याय की अवधारणा में क्रांति की मान्यता स्वत : अंतनिर्हित होती है अगर सरकार न्याय के प्रावधानों का उल्लंघन करती है तथा सत्ता का निजी हितपूर्ति मैं प्रयोग होता है तो जनता को यह अधिकार है कि वे सरकार को हटा दें इस उद्देश्य के लिए यदि आवश्यक हो तो वे शक्ति का प्रयोग भी कर सकते हैं यद्यपि लॉक ने उस अवस्था का उल्लेख नहीं किया है जिसमें शक्ति की अनुमति हो
( 5 ) प्राकृतिक अधिकारी की अवधरणा :-
लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में व्यक्ति के पास कुछ अधिकार थे जिन्हे उच्च प्रकृति अधिकारों की संज्ञा दी है एक नागरिक समाज की रचना की तथा उसके पास सरकार की स्थापना की लॉक के लेखन में प्राकृतिक अधिकारों का जो विवेचन मिलता है उसके अनुसार अधिकार सरकार से पहले तथा सरकार का अस्तित्व उसको संरक्षण प्रदान करता है अधिकार प्राकृतिक अवस्था में पूर्णतया थे सरकार एवं कानून उनमें अतिरिक्त कुछ भी नहीं जोड़ते सरकार द्वारा बनाए गए कानून उस समय तक मान्य रहते हैं जब तक कि वे प्राकृतिक कानूनों के अनुरूप हो राजनैतिक अवस्था में प्राकृतिक अधिकार कानूनी अधिकारों का रूप ले लेते हैं तथा सरकार ने लागू करने को बाध्य होती है लॉक के अनुसार प्रत्येक अच्छी सरकार ऐसा करती है जबकि वहीं सरकार की अपेक्षा अपने स्वयं के कानून भी लागू करती है
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