Friday, October 18, 2019

राजस्थानी भाषा एवं साहित्य की प्रमुख कृतियाँ


* राजस्थानी भाषा :-

 
                               राजस्थानी भाषा का लगभग 1200 वर्षों का विशाल और  समृद्ध साहित्य रहा  है तथ्यों के आधार पर राजस्थानी भाषा की उत्पत्ति  विक्रम की 8-9 वीं सदी से मानी है राजस्थान में डिंगल भाषा में सर्वाधिक साहित्य रचा गया |
राजस्थानी भाषा एवं साहित्य की  प्रमुख कृतियाँ

* प्रो नरोत्तमदास स्वामी :-


                                     राजस्थानी साहित्य का आरंभ ईसा की 12 वीं शताब्दी से माना जा सकता है |

    * प्रारंभिक काल :-



                           राजस्थानी भाषा का उदय विक्रम की 8वीं शताब्दी में हुआ |वि. सं.  835 तक आते-आते यह साहित्यिक भाषा के रूप में प्रसिद्ध हुई जिसका उल्लेख उद्योतन सुरि द्वारा रचित  कुवलयवाला  ग्रंथ में मिलता है |


 * प्राचीन काव्य शैलियां :-

 

                                    (1) जैन कृतियां :-   राजस्थानी भाषा की प्राचीनतम रचनाओं में जैन कृतियों की दो काव्य कृतियां प्रमुख हैं |


(1)  वज्रसेन सुरि :- 


                            इन्होंने भरतेश्वर बाहुबली घोर की रचना संवत (1125) के लगभग की, यह  मरूगुर्जरी की प्रारंभिक रचना मानी जाती है केवल 48 छंदों ( पदों ) कि इस वीर रसात्मक काव्य कृति में शालिभद्र सुरि द्वारा लिखित भरतेश्वर बाहुबली  रास के दो संस्करण मिलते हैं |

(2) शाली भद्र सुरि :-

     
                             इन्होंने  भरतेश्वर बाहुबली रास की रचना की  जिसका रचनाकार  संवत 1241 माना गया है इस कृति में  203 पद है शलीभद्र सुरी वज्रसेन सुरि के  शिष्य थेभरतेश्वर और बाहुबली के युद्ध पर आधारित यह दूसरी प्रमुख रचना है तथा रास परंपरा की प्रथम रचना मानी जाती है |


    (2) चारण शैली :-  


                              11वीं से 14वीं शताब्दी तक चारण शैली में काव्य फुटकर छंदों के रूप में मिलता है जिसका उल्लेख  हेमचंद की अपभ्रंश व्याकरण में है शिवदास गाडण के अचलदास खींची री वचनिका `वचनिका शैली की प्रथम रचना महत्वपूर्ण है अचलदास खींची   वचनिका  राजस्थानी की पहली गद्य रचना मानी जाती है |

            *श्रीधर व्यास :-

                                      दुर्गा सप्तशती, सप्तशती, भागवत पुराण, कवित  भागवत की रचना है |

   (3) लौकिक काव्य शैली :- 


                                       चंदबरदाई पृथ्वीराज रासो चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य | पृथ्वीराज रासो को हिंदी की पहली रचना महाकाव्य होने का सम्मान प्राप्त है इसका रचनाकाल 13 वीं शताब्दी माना जाता है

 इसमें 10, 000 से अधिक छंद है और तत्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है  |


  * संधि काल की रचनाएं  :-


                                        वीरगाथा काल के समापन और भक्ति काल के प्रारंभ के बीच के समय को संधि काल की संज्ञा दी गई है

* पदमनाभ :-

                    इन्होंने (1455 ) मैं भीनमाल में का कान्हडदेव  प्रबंध की रचना की जो अलंकृत   गद्य की महत्वपूर्ण रचना है इसे गुजरात में प्राचीन गुजराती भाषा का तथा राजस्थान में प्राचीन राजस्थानी भाषा का ग्रंथ माना जाता है |

                     * मध्यकाल *

•   माणिक्य सुंदर :- 

                        इन्होंने राजस्थानी भाषा में (1421 ) के लगभग पृथ्वी चंद चरित्र की रचना की  इसे `वाग्विलास ´ भी कहते हैं

• ब्रह्म जिनदास :-

                         राम सीता  रास की रचना की |              

•  समय सुंदर :-

                      इनकी रचनाओं में  सीताराम चौपाई, नल दमयंती चौपाई प्रमुख है 

                   

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