* निशस्त्रीकरण एवं शस्त्र नियंत्रण :-
निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण विश्व स्तर पर संजय संगठन एवं विस्तार के पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक पक्षों के प्रति तार्किक अनुक्रिया है | आज की वास्तविकता यह है कि अल्बर्ट आइस्टीन की युगांतरकारी वैज्ञानिकों की ऊर्जा को पदार्थ मैं बदला जा सकता है ( e=mc ) स्वयं व्यक्ति के चेतन क्रियाकलापों के कारण मानवता के लिए एक अभिशाप बन गई है इसी के फलस्वरूप वे अपने लिए आज ज्यादा से ज्यादा कीमत पर बड़े से बड़ा जोखिम खरीदा दिखाई देता है |
आज से लगभग डेढ़ दशक पहले ही विषय का सही व्यवस्था खर्च प्रति वर्ष 350 अरब अमेरिकी डॉलर हो चुका था उसी समय यह अनुमान किया गया था कि खर्च की यह दर बहुत अधिक चिंताजनक रूप से बढ़ रही है | 1900 की तुलना में 1976 के दौरान हथियारों पर खर्च 30 गुना अधिक हो गया था कर्ज़ की इस दौड़ में विकासशील देशों का योगदान केवल 7.5% था
* निशस्त्रीकरण का उद्देश्य :-
विद्यमान हथियारों के भंडारों का अथवा उन्मूलन | उसका उद्देश्य भविष्य संबंधी किसी शस्त्र प्राविधि की के आविष्कार अथवा प्रयोग का नियमन करना नहीं है अपने इस अर्थ रूप में यह शस्त्र नियंत्रण की परिधि का निर्माण करता है निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण इस अर्थ में एक दूसरे के पूरक है ने की विरोधी|
* उद्देश्य :-
( 1 ) सर्वाधिक बुरी स्थिति में मानव सभ्यताओं के विलोप समेत भविष्य संबंधी घातक युद्धों की आशंका का उन्मूलन तथा |
( 2 ) अंतर राष्ट्रीय एकता की भावना के अनुरूप सैनिक उद्देश्यों को समर्पित वर्तमान कालिक संसाधनों का शांतिपूर्ण रचनात्मक तथा विकासात्मक कार्यों और लक्ष्य के लिए पुर्नआबंटन |
* निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण के विविध उपागम :-
निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण मिलकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शांति व्यवस्था स्थापित करने का योगदान देते हैं यह शांति व्यवस्था के साध्य को सुलभ करने वाले साधन का सूत्रपात करते हैं विशेष महा शक्तियों के स्तर पर हथियारों की होड़ के नियमन द्वारा निशस्त्रीकरण तथा संस्थान नियंत्रण दुनिया में शक्ति संतुलन की स्थापना कहां महती योगदान भी देते हैं जहां सामूहिक सुरक्षा सामूहिक बालिके नियोजन दवारा किसी राष्ट्र अथवा राष्ट्र समूह की आक्रमण व्यूह रचना को ध्वस्त करने का उपक्रम करती है
• युद्ध अनियमित हत्यारों की हॉट से पैदा होता है तथा
• निशस्त्रीकरण तथा शास्त्र नियंत्रण , सस्र निर्माण में भंडारण की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की क्षमता रखते हैं
* रॉवर्ट निल्ड निशस्त्रीकरण के प्रति व्यक्ति वैकल्पिक उपागम प्रतिपादित किए हैं
( 1 ) पारंपरिक विश्वव्यापी उपनाम :-
यह उपागम में पूर्व कल्पना पर आधारित है कि सभी देशों की सर्वसम्मति से एक सहमति पूर्ण समय सारणी के अनुसार दुनिया में सामान्य व पूर्ण निशस्त्रीकरण संभव हो सकेगा | निल्ड के अनुसार अंतर युद्ध काल मैं उस समय इस उपागम के बीज अंकुरित हुए जब सभी प्रमुख यूरोपीय शक्तियों ने अमेरिका और जापान के साथ है एक ऐसी तात्कालिक कार्य योजना को चरितार्थ करने की कोशिश की जो यह दूसरे को राष्ट्र लाभ अर्जित करने से रोक दी थी
( 2 ) क्षेत्रीय उपागम :-
प्रत्येक क्षेत्र के लिए इस उपागम का तर्क सार यह है की इसके द्वारा हर क्षेत्र ऐसी व्यवस्था करेगा जिनसे उसे तर में पारंपरिक आधार पर सहमत हथियारों की सीमा से अधिक हथियार नहीं आ सकेंगे इस सहमति के प्रभावी पूर्वक के रूप में हत्यारों की सफाई करने वाले देशों के साथ भी एक ऐसी सहमति आवश्यक है जिसके द्वारा वह सभी करती स्तर से अधिक शास्त्र इन देशों को न दें केंद्रीय देखरेख की व्यवस्था खोजो कि स्वयं हथियार पाने वाले देशों से परिचालित हो |
* निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण की उपलब्धियां :-
निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण की उपलब्धियां काफी सीमित रही है विशेष निशस्त्रीकरण की | अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यह प्रवृत्ति दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से बरकरार है इसका अर्थ यह नहीं है कि निशस्त्रीकरण की दिशा में प्रस्ताव नहीं तैयार किए गए हैं यह तो बहुत हुए हैं निशस्त्रीकरण में शिखर सम्मेलन में संयुक्त राज्य अमेरिका सो वित्तीय संघ फ्रांस व ब्रिटेन में भाग लिया
• लंदन सम्मेलन ( 1957 )
• बुल्गारिया के प्रस्तव ( 1958 )
• जिनेवा सम्मेलन की सिफारिश ( 1960 )
• केनेडी प्रस्ताव ( 1961 )|
शस्त्र नियंत्रण को दूसरी ओर निशस्त्रीकरण की अपेक्षा अधिक उत्साह पूर्वक उपलब्धियां अर्जित करने का श्रेय जाता है दुनिया के अधिकांश राजनेता संस्था नियंत्रण के अधिक पक्ष में थे क्योंकि वे हथियारों की होड़ तथा सैन्य प्राविधि की की अपरिहार्य ता के विषय में पर्याप्त थे
इस दिशा में अन्य महत्वपूर्ण कदम था 1968 आणविक अस्त्र प्रसार निषेध संधि ( एन.पी.टी. ) यह संधि आणविक अस्त्र युक्त देशों से यह आग्रह करती है
निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण विश्व स्तर पर संजय संगठन एवं विस्तार के पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक पक्षों के प्रति तार्किक अनुक्रिया है | आज की वास्तविकता यह है कि अल्बर्ट आइस्टीन की युगांतरकारी वैज्ञानिकों की ऊर्जा को पदार्थ मैं बदला जा सकता है ( e=mc ) स्वयं व्यक्ति के चेतन क्रियाकलापों के कारण मानवता के लिए एक अभिशाप बन गई है इसी के फलस्वरूप वे अपने लिए आज ज्यादा से ज्यादा कीमत पर बड़े से बड़ा जोखिम खरीदा दिखाई देता है |
आज से लगभग डेढ़ दशक पहले ही विषय का सही व्यवस्था खर्च प्रति वर्ष 350 अरब अमेरिकी डॉलर हो चुका था उसी समय यह अनुमान किया गया था कि खर्च की यह दर बहुत अधिक चिंताजनक रूप से बढ़ रही है | 1900 की तुलना में 1976 के दौरान हथियारों पर खर्च 30 गुना अधिक हो गया था कर्ज़ की इस दौड़ में विकासशील देशों का योगदान केवल 7.5% था
* निशस्त्रीकरण का उद्देश्य :-
विद्यमान हथियारों के भंडारों का अथवा उन्मूलन | उसका उद्देश्य भविष्य संबंधी किसी शस्त्र प्राविधि की के आविष्कार अथवा प्रयोग का नियमन करना नहीं है अपने इस अर्थ रूप में यह शस्त्र नियंत्रण की परिधि का निर्माण करता है निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण इस अर्थ में एक दूसरे के पूरक है ने की विरोधी|
* उद्देश्य :-
( 1 ) सर्वाधिक बुरी स्थिति में मानव सभ्यताओं के विलोप समेत भविष्य संबंधी घातक युद्धों की आशंका का उन्मूलन तथा |
( 2 ) अंतर राष्ट्रीय एकता की भावना के अनुरूप सैनिक उद्देश्यों को समर्पित वर्तमान कालिक संसाधनों का शांतिपूर्ण रचनात्मक तथा विकासात्मक कार्यों और लक्ष्य के लिए पुर्नआबंटन |
* निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण के विविध उपागम :-
निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण मिलकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में शांति व्यवस्था स्थापित करने का योगदान देते हैं यह शांति व्यवस्था के साध्य को सुलभ करने वाले साधन का सूत्रपात करते हैं विशेष महा शक्तियों के स्तर पर हथियारों की होड़ के नियमन द्वारा निशस्त्रीकरण तथा संस्थान नियंत्रण दुनिया में शक्ति संतुलन की स्थापना कहां महती योगदान भी देते हैं जहां सामूहिक सुरक्षा सामूहिक बालिके नियोजन दवारा किसी राष्ट्र अथवा राष्ट्र समूह की आक्रमण व्यूह रचना को ध्वस्त करने का उपक्रम करती है
• युद्ध अनियमित हत्यारों की हॉट से पैदा होता है तथा
• निशस्त्रीकरण तथा शास्त्र नियंत्रण , सस्र निर्माण में भंडारण की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की क्षमता रखते हैं
* रॉवर्ट निल्ड निशस्त्रीकरण के प्रति व्यक्ति वैकल्पिक उपागम प्रतिपादित किए हैं
( 1 ) पारंपरिक विश्वव्यापी उपनाम :-
यह उपागम में पूर्व कल्पना पर आधारित है कि सभी देशों की सर्वसम्मति से एक सहमति पूर्ण समय सारणी के अनुसार दुनिया में सामान्य व पूर्ण निशस्त्रीकरण संभव हो सकेगा | निल्ड के अनुसार अंतर युद्ध काल मैं उस समय इस उपागम के बीज अंकुरित हुए जब सभी प्रमुख यूरोपीय शक्तियों ने अमेरिका और जापान के साथ है एक ऐसी तात्कालिक कार्य योजना को चरितार्थ करने की कोशिश की जो यह दूसरे को राष्ट्र लाभ अर्जित करने से रोक दी थी
( 2 ) क्षेत्रीय उपागम :-
प्रत्येक क्षेत्र के लिए इस उपागम का तर्क सार यह है की इसके द्वारा हर क्षेत्र ऐसी व्यवस्था करेगा जिनसे उसे तर में पारंपरिक आधार पर सहमत हथियारों की सीमा से अधिक हथियार नहीं आ सकेंगे इस सहमति के प्रभावी पूर्वक के रूप में हत्यारों की सफाई करने वाले देशों के साथ भी एक ऐसी सहमति आवश्यक है जिसके द्वारा वह सभी करती स्तर से अधिक शास्त्र इन देशों को न दें केंद्रीय देखरेख की व्यवस्था खोजो कि स्वयं हथियार पाने वाले देशों से परिचालित हो |
* निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण की उपलब्धियां :-
निशस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण की उपलब्धियां काफी सीमित रही है विशेष निशस्त्रीकरण की | अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यह प्रवृत्ति दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से बरकरार है इसका अर्थ यह नहीं है कि निशस्त्रीकरण की दिशा में प्रस्ताव नहीं तैयार किए गए हैं यह तो बहुत हुए हैं निशस्त्रीकरण में शिखर सम्मेलन में संयुक्त राज्य अमेरिका सो वित्तीय संघ फ्रांस व ब्रिटेन में भाग लिया
• लंदन सम्मेलन ( 1957 )
• बुल्गारिया के प्रस्तव ( 1958 )
• जिनेवा सम्मेलन की सिफारिश ( 1960 )
• केनेडी प्रस्ताव ( 1961 )|
शस्त्र नियंत्रण को दूसरी ओर निशस्त्रीकरण की अपेक्षा अधिक उत्साह पूर्वक उपलब्धियां अर्जित करने का श्रेय जाता है दुनिया के अधिकांश राजनेता संस्था नियंत्रण के अधिक पक्ष में थे क्योंकि वे हथियारों की होड़ तथा सैन्य प्राविधि की की अपरिहार्य ता के विषय में पर्याप्त थे
इस दिशा में अन्य महत्वपूर्ण कदम था 1968 आणविक अस्त्र प्रसार निषेध संधि ( एन.पी.टी. ) यह संधि आणविक अस्त्र युक्त देशों से यह आग्रह करती है
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