Monday, October 21, 2019

अंतरराष्ट्रीय संबंधों का निकाय उपागम तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों में खेल सिद्धांत का महत्व

* अंतरराष्ट्रीय संबंधों का निकाय उपागम :-
                                                        अंतरराष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में विद्वान अंतरराष्ट्रीय निकाय शब्द का प्रयोग   अधिक करते हैं तथा अपनी परिभाषाएं भी देते हैं |
• जनरल सिस्टम्स  इयर बुक :-
                                         `  जनरल सिस्टम्स इयर बुक ´ के  प्रथम ग्रंथ में वान ने निकाय को परस्पर क्रिया से सम्बद्व अवयवों के एक समुच्चय के मे परिभाषित किया है | उसी ग्रंथ में हाल तथा फागन ने निकाय को वस्तुओं का समुच्चय और वस्तुओं तथा उनके गुणों के आपसी संबंधों का इकट्ठा नाम बताया है |
 • स्टेनली हॉफमैन :-
                             स्टेनली हॉफमैन के अनुसार निकाय विश्व राजनीति में मूल इकाइयों के बीच संबंधों का प्रतिरूप है जिसमें कि उन इकाइयों द्वारा लक्ष्यों की खोज तथा उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य तथा लक्ष्यों की प्राप्ति व कार्य संपादन के लिए तरीकों में अवसर पर प्रमुख  लक्षण होते हैं |
• मॉर्टन कैप्लन :-
                        मॉर्टन कैप्लन ने निकाय सिद्धांत के आधार पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति की एक संकलित सिद्धांत की व्याख्या करने का पहली बार कार्य भार अपने ऊपर लिया |
* निकाय की संरचना :-
          निकाय के संबंधों के प्रति रूपों को तीन अवयव निर्धारित करते हैं |
•  इकाइयों या राष्ट्रों की क्षमता का वितरण आपेक्षिक समानता यह असमानता इसका लक्षण हो सकता है |
• विशिष्ट समाकृति : दुधुवी बहुधुवी एकधुवी
• निकाय  के अंदर अनुक्रम :- प्रभुत्वशील |
  * निकाय की सीमाएं :-
                                   इसमें निकाय का वातावरण में इसके तथा स्वयं निकाय के बीच विभेद संबंधित है |  सभी   वीर विदयमान वस्तुए या निकाय  के बाहर विद्यमान समझने जाने वाली वस्तुएं निकाय का वातावरण होती है यह परिभाषा राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय निकाय के बीए सीमा निर्धारण अपेक्षाकृत सहज बना देती है |
* निकाय मैं नियंत्रण :-
                                नियंत्रण की प्रक्रिया के द्वारा यह निकाय अपनी पहचान को बनाने व सुरक्षित रखने का प्रयास करता है यह पहचान बदलती परिस्थितियों के साथ अपनाई जाती है वास्तव में निकाय की विघटनकारी शक्तियों को नियंत्रित करने की क्षमता इसके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होती है |

* मॉर्टन कैप्लन :-
                         मॉर्टन कैप्लन ने  अंतरराष्ट्रीय निकाय के  छ : प्रतिमानों के अंतर्गत पारस्परिक क्रिया के प्रतिरूप वे नियमों को स्पष्ट करने का सबसे अधिक प्रयास किया है
 जिससे की परिकल्पना ओं को विकसित व उनकी जांच की जा सकती है तथा वे की भी गई है
• आवश्यक नियम
• परिवर्तन के नियम
• कार्यकर्ता का वर्गीकरण करने वाले अवयव
• समता के अवयव
• सूचना के अवयव |
 आवश्यक नियम आवश्यक होते हैं क्योंकि वे निकाय में संतुलन बनाने वाले आवश्यक व्यवहार की व्याख्या करते हैं परिवर्तन के नियम उन परिवर्तनों को स्पष्ट करते हैं जो कि निवेश के रूप में होते हैं तथा निकाय के अंदर प्रवेश करने वाले वे संतुलन के लिए आवश्यक परिवर्तनों से इनका कोई संबंध नहीं होता है |
  * अंतरराष्ट्रीय संबंधों में खेल सिद्धांत :-
                                           ( 1 ) बौद्विक  उत्पत्ति व परिभाषाए :-
                                                                                                यह  सुझाव  काफ़ी आश्चर्य पैदा करता है कि इस तरह गंभीर घटनाओं जैसे राजनीति में मानव संघर्ष और खेल  की तरह समझा जाना चाहिए | की वास्तव मे  मानव संस्कृति को तब तक रूप से नहीं समझा जा सकता | जब तक हम इस बात को नहीं स्वीकार करेगी माना वह एकमात्र खिलाड़ी है तथा सभी मनुष्य जीवन में बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक के सभी आयामों को चढ़ाई प्यार हो जाए युद्ध हो यह खेल के सामान खेलते हैं |
   ( 2 ) जीरो योग खेल :-
                                      खेल सिद्धांत में प्रारंभिक भेद जीरो खेल तथा गेर शून्य खेल के बीच किया जाता है | जीरो योग खेल में खिलाड़ी ( a ) जो भी जीतना है उस खिलाड़ी ( b ) खोता या हारता है |
  ( 3 ) अंतरराष्ट्रीय संबंधी खेल के रूप में :-
                                                         खेल तथा अंतरराष्ट्रीय राजनीति किस तरह से जुड़े हुए हैं पहले यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय संबंध तथा अंतरराष्ट्रीय निकाय का प्रचलन खेल सिद्धांत के  विश्लेषण राज्य के अंतर्गत पूर्णतया नहीं समझा जा सकता है लेकिन अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रतिरूप व  प्रतिक्रियाएं कुछ खेल के तरह के लक्षण प्रदर्शित करती है | 

No comments:

Post a Comment