*सामूहिक सुरक्षा का अर्थ :-
सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा का उदय 17 वीं शताब्दी मे ओसनाबुक संधि एवं विलियम पेन द्वारा दी गई `यूरोपियन ऑर्डर ´ से हुआ | पर आधुनिक समय में राष्ट्रपति विल्सन को इस धारणा का प्रवर्तक माना जाता है सामूहिक सुरक्षा का महत्व प्रथम विश्व युद्ध के बाद और बढ़ गया |
* सामूहिक सुरक्षा को विद्वानों ने अलग-अलग तरह से परिभाषित किया है :-
• पामर और परकिन्स के अनुसार :-
सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय संबंधों के निर्धारण का एक रूप है जिसके द्वारा शक्ति संतुलन के सिद्धांतों की समाप्ति हो जाती है | इससे समाज की प्रकृति तथा व्यवहार में बड़ा अंतर उत्पन्न हो जाता है |
•क्लॉड :-
सामूहिक सुरक्षा शक्ति संतुलन और विश्व सरकार के बीच की स्थिति है सामूहिक सुरक्षा ही वर्तमान में विश्व शांति का एकमात्र प्रभावी उपाय है |
* सामूहिक सुरक्षा का वास्तविक अर्थ है :-
`` एक सभी के लिए तथा सभी एक के लिए | ´´
सभी राष्ट्रों की सुरक्षा और सामूहिक रूप से सेनिक अथवा असैनिक माध्यम से प्राप्त की गई हो अब सुरक्षा किसी राज्य विशेष की समस्या ने होकर सभी राज्यों की होगी और सभी राष्ट्र सामूहिक रूप से इसके लिए प्रयत्नशील होंगे सामूहिक सुरक्षा के लिए संस्थागत ढांचे की आवश्यकता होती है |
* सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा कुछ मूलभूत मान्यताओं पर आधारित है :-
( 1 ) विश्व समुदाय सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था में विश्वास होना चाहिए सभी राष्ट्रों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए तथा निभाना चाहिए |
(2 ) सभी सदस्य राष्ट्रों को यह विश्वास होना चाहिए कि दूसरे राष्ट्र अब सकता पड़ने पर उसकी सहायता करेंगे ऐसा न होने पर राष्ट्रों में स्तरीकरण गठबंधन और आपसी होड़ बढ़ेगी तथा सामूहिक सुरक्षा का उद्देश्य कभी पूरा नहीं होगा |
( 3 ) यह संभव होना चाहिए कि संभावित युद्ध करने वाले राष्ट्र के विरुद्ध सामूहिक कार्यवाही की जा सके इस स्थिति को जटिल शक्ति का संतुलन का जाता है |
* सामूहिक सुरक्षा की विशेषताएं :-
• यह शक्ति के प्रयोग के विरुद्ध नहीं है पर शक्ति का प्रयोग युद्ध रोकने के लिए होना चाहिए |
• इसकी मान्यता है कि शांति अविभाज्य हैं | विश्व के किसी भी भाग में युद्ध शांति के लिए खतरा है |
• यह किसी एक राष्ट्र के फायदे के लिए नहीं है |
* शक्ति संतुलन का अर्थ :-
शक्ति संतुलन काफी पुराना और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की सबसे विवादास्पद अवधारणा है शक्ति संतुलन के विचार का महत्व पूर्ण समय 1500 से प्रारंभ हुआ और महत्वपूर्ण रहा 18वीं और 19वीं सदी में इसका उपयोग लगातार होता रहा | इसकी महत्ता नेपोलियन के पतन के समय तक बनी रही |
* शक्ति संतुलन को अलग-अलग विद्वानों द्वारा परिभाषित किया गया है :-
• इनिस क्लॉड :-
शक्ति संतुलन की यह समस्या नहीं है कि इसके क्या अर्थ है समस्या यह है कि इसके बहुत अर्थ है |
• प्रोफेसर बी. फे - शक्ति संतुलन का अर्थ है राष्ट्रों के परिवार के सदस्यों की शक्ति में न्याय पूर्ण तुल्य मारित जो कि किसी राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र अच्छा अच्छा लादने से रोकता है |
* शक्ति संतुलन के रूप :-
शक्ति संतुलन के दो रूप हैं :-
(1) सैद्वांतिक शक्ति संतुलन
(2)व्यावहारिक शक्ति संतुलन |
* शक्ति संतुलन की धारणाएं :-
(1) राज्य के हितों की रक्षा हर संभव उपाय द्वारा होनी चाहिए चाहे अंतिम रूप से युद्ध की क्यों न करनी पड़े |
(2) जब तक राष्ट्र के वास्तविक व प्रमुख हित खतरे में ने हो राज्य यथास्थिति बनाए रखने का प्रयास करते हैं |
(3) आक्रमणकारी राज्यों को आक्रमण करने से रोकने की व्यवस्था है जिस पर आक्रमण हुआ है उसकी रक्षा होती रहे |
(4) राज्य की शक्ति का भली-भांति मूल्यांकन करना और भविष्य के लिए लाभ उठाना |
* शक्ति संतुलन की प्राप्ति के तरीके :-
(1) गठबंधनो का निर्माण
(2) मुआवजा देना
(3) हस्तक्षेप और अहस्तक्षेप
(4) विभाजित करो और शासन करो |
* शक्ति संतुलन की विशेषताएं :-
(1) शक्ति संतुलन की पहली विशेषता है कि इससे यथास्थिति प्राप्त की जा सकती है पर यह यथास्थिति हमेशा के लिए स्थाई नहीं होती |
(2) शक्ति संतुलन में ऐतिहासिक और राजनीतिक दोनों ही प्रवृतियां है विद्वान शक्ति का संतुलन तब मानते हैं जब दोनों गुट सम्मान शक्तिशाली हो और विरोधी कमजोर स्थिति में हो |
(3) शक्ति संतुलन की राजनीति बड़े लोगों का खेल है | छोटी शक्तियों का नहीं |
(4) इसमें गतिशीलता है जो स्थिति और समय के अनुसार परिवर्तित होती रहती है
सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा का उदय 17 वीं शताब्दी मे ओसनाबुक संधि एवं विलियम पेन द्वारा दी गई `यूरोपियन ऑर्डर ´ से हुआ | पर आधुनिक समय में राष्ट्रपति विल्सन को इस धारणा का प्रवर्तक माना जाता है सामूहिक सुरक्षा का महत्व प्रथम विश्व युद्ध के बाद और बढ़ गया |
* सामूहिक सुरक्षा को विद्वानों ने अलग-अलग तरह से परिभाषित किया है :-
• पामर और परकिन्स के अनुसार :-
सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय संबंधों के निर्धारण का एक रूप है जिसके द्वारा शक्ति संतुलन के सिद्धांतों की समाप्ति हो जाती है | इससे समाज की प्रकृति तथा व्यवहार में बड़ा अंतर उत्पन्न हो जाता है |
•क्लॉड :-
सामूहिक सुरक्षा शक्ति संतुलन और विश्व सरकार के बीच की स्थिति है सामूहिक सुरक्षा ही वर्तमान में विश्व शांति का एकमात्र प्रभावी उपाय है |
* सामूहिक सुरक्षा का वास्तविक अर्थ है :-
`` एक सभी के लिए तथा सभी एक के लिए | ´´
सभी राष्ट्रों की सुरक्षा और सामूहिक रूप से सेनिक अथवा असैनिक माध्यम से प्राप्त की गई हो अब सुरक्षा किसी राज्य विशेष की समस्या ने होकर सभी राज्यों की होगी और सभी राष्ट्र सामूहिक रूप से इसके लिए प्रयत्नशील होंगे सामूहिक सुरक्षा के लिए संस्थागत ढांचे की आवश्यकता होती है |
* सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा कुछ मूलभूत मान्यताओं पर आधारित है :-
( 1 ) विश्व समुदाय सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था में विश्वास होना चाहिए सभी राष्ट्रों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए तथा निभाना चाहिए |
(2 ) सभी सदस्य राष्ट्रों को यह विश्वास होना चाहिए कि दूसरे राष्ट्र अब सकता पड़ने पर उसकी सहायता करेंगे ऐसा न होने पर राष्ट्रों में स्तरीकरण गठबंधन और आपसी होड़ बढ़ेगी तथा सामूहिक सुरक्षा का उद्देश्य कभी पूरा नहीं होगा |
( 3 ) यह संभव होना चाहिए कि संभावित युद्ध करने वाले राष्ट्र के विरुद्ध सामूहिक कार्यवाही की जा सके इस स्थिति को जटिल शक्ति का संतुलन का जाता है |
* सामूहिक सुरक्षा की विशेषताएं :-
• यह शक्ति के प्रयोग के विरुद्ध नहीं है पर शक्ति का प्रयोग युद्ध रोकने के लिए होना चाहिए |
• इसकी मान्यता है कि शांति अविभाज्य हैं | विश्व के किसी भी भाग में युद्ध शांति के लिए खतरा है |
• यह किसी एक राष्ट्र के फायदे के लिए नहीं है |
* शक्ति संतुलन का अर्थ :-
शक्ति संतुलन काफी पुराना और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की सबसे विवादास्पद अवधारणा है शक्ति संतुलन के विचार का महत्व पूर्ण समय 1500 से प्रारंभ हुआ और महत्वपूर्ण रहा 18वीं और 19वीं सदी में इसका उपयोग लगातार होता रहा | इसकी महत्ता नेपोलियन के पतन के समय तक बनी रही |
* शक्ति संतुलन को अलग-अलग विद्वानों द्वारा परिभाषित किया गया है :-
• इनिस क्लॉड :-
शक्ति संतुलन की यह समस्या नहीं है कि इसके क्या अर्थ है समस्या यह है कि इसके बहुत अर्थ है |
• प्रोफेसर बी. फे - शक्ति संतुलन का अर्थ है राष्ट्रों के परिवार के सदस्यों की शक्ति में न्याय पूर्ण तुल्य मारित जो कि किसी राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र अच्छा अच्छा लादने से रोकता है |
* शक्ति संतुलन के रूप :-
शक्ति संतुलन के दो रूप हैं :-
(1) सैद्वांतिक शक्ति संतुलन
(2)व्यावहारिक शक्ति संतुलन |
* शक्ति संतुलन की धारणाएं :-
(1) राज्य के हितों की रक्षा हर संभव उपाय द्वारा होनी चाहिए चाहे अंतिम रूप से युद्ध की क्यों न करनी पड़े |
(2) जब तक राष्ट्र के वास्तविक व प्रमुख हित खतरे में ने हो राज्य यथास्थिति बनाए रखने का प्रयास करते हैं |
(3) आक्रमणकारी राज्यों को आक्रमण करने से रोकने की व्यवस्था है जिस पर आक्रमण हुआ है उसकी रक्षा होती रहे |
(4) राज्य की शक्ति का भली-भांति मूल्यांकन करना और भविष्य के लिए लाभ उठाना |
* शक्ति संतुलन की प्राप्ति के तरीके :-
(1) गठबंधनो का निर्माण
(2) मुआवजा देना
(3) हस्तक्षेप और अहस्तक्षेप
(4) विभाजित करो और शासन करो |
* शक्ति संतुलन की विशेषताएं :-
(1) शक्ति संतुलन की पहली विशेषता है कि इससे यथास्थिति प्राप्त की जा सकती है पर यह यथास्थिति हमेशा के लिए स्थाई नहीं होती |
(2) शक्ति संतुलन में ऐतिहासिक और राजनीतिक दोनों ही प्रवृतियां है विद्वान शक्ति का संतुलन तब मानते हैं जब दोनों गुट सम्मान शक्तिशाली हो और विरोधी कमजोर स्थिति में हो |
(3) शक्ति संतुलन की राजनीति बड़े लोगों का खेल है | छोटी शक्तियों का नहीं |
(4) इसमें गतिशीलता है जो स्थिति और समय के अनुसार परिवर्तित होती रहती है
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