Friday, October 25, 2019

अरविंद का जीवन परिचय और विचारों का संक्षिप्त वर्णन

* अरविंद का जीवन परिचय:-

                                                                     श्री अरविंद का जन्म 15 अगस्त 1872 मैं कोलकाता में हुआ था उनके पिता श्री कृष्ण धन घोष डॉक्टर थे माता श्रीमती स्वर्णलता एक प्रबुद ज्ञानवान परिवार से थी में श्री देवेंद्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित आदि ब्रह्मसमाज की रीति अनुसार 12 बरस की उम्र में उनका विवाह हुआ था माता-पिता ने बड़े शौक से उनका नाम अरविंद यानी कि कमल रखा था अपने जीवन में अरविंद कमल की तरह ही सुवासित हुए अरविंद की एक बहन तथा तीन भाई थे एक छोटा सा परिवार था 5 बरस की उम्र में अपने भाइयों के साथ अरविंद को `` लोरेटो कान्वेंट स्कूल दार्जलिंग ´´ मैं पढ़ने भी गया था |


* बचपन का नाम:-

                                           कमल


* अरविंद के राजनीतिक विचार :-

                                                      ( 1 )  राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता :-
                उन्ही  के शब्दों में यूं हैं.................................. राष्ट्र क्या है हमारी मातृभूमि क्या है  वे भूखंड नहीं है वाक विलास नहीं है और न कोरी मन  की कल्पना है वह मां शक्ति है जो राष्ट्र का निर्माण करने वाली कोटि-कोटि जनता की व्यष्टि की शक्तियो  का समाविष्ट रूप है 33 कोटि देवताओं की शक्ति | यह है भारत माता की एक तस्वीर जो दुर्गा रूप में परम कल्याण करनी और चंडी रूप  में आसुर के  नाश हेतु विनाशिनी  है देशप्रेम और मातृप्रेम उनके लिए मिलकर एकाकर  हो गए थे उनकी दृष्टि में भारत माता या मां दुर्गा एक संजीव आध्यात्मिक सत्ता के रूप में सदैव विद्यमान है |


( 2 ) पूर्ण स्वराज्य की अवधारणा:-
                                                                                                                                अरविंद के अनुसार पूर्ण स्वराज्य की कच्चे भारतीय राष्ट्रवाद का लक्ष्य हो सकता था इसे कम कुछ नहीं किसी भी कार्यवाही को राजनैतिक दृष्टि से अच्छी या बुरी मारने की उनकी राजनीति कसौटी एक ही थी राष्ट्रीय मुक्ति में उसका सहायक या बाधक होना

               अरविंद का  दृढ़ विश्वास था कि भारत के पुनर्जन्म का समय आ गया है पाश्चात्य स्थूल भौतिकवाद को विश्व को भारत की आध्यात्मिक उपलब्धियां के प्रकाश  की आवश्यकता है यह तभी संभव है जब भारत माता मुक्त हो पीड़ित मानवता के लिए भी आवश्यक है |

• अरविंद के लिए सच्चे स्वराज्य का अर्थ:-

                                                                                             अरविंद के लिए सच्चे स्वराज्य  का अर्थ था आधुनिक परिवेश में भारत के प्राचीन जीवन पद्धति का सफल समावेश राष्ट्रीय गरिमा वाले सत्ययुग का पुन : प्रवर्त्तन जगतगुरु और पथ प्रदर्शक  के पद पर पुनस्थापना तथा राजनीति में भी वेदनितक की पूर्ण सिदी  के लिए जनता की आत्मा मुक्ति |

( 3 )  अरविंद और राज्य :-
                                यहां वह एकता दुर्लभ  हो जाएगी जो किसी भी राष्ट्र का प्राण होती है बाहरी स्वरूप प्रमुख  हो जाएगा किसी भी राज्य के लिए चाहे  में राष्ट्र राज्य हो या विश्व राज्य एक विशुद्ध आध्यात्मिकवादी धर्म को मनोवैज्ञानिक रूप से विकसित करने की आवश्यकता है वे मानते थे उसी से निष्कृति होगी जनतंत्र, समाजवाद, व  शांतिवाद |

इस मानवतावादी धर्म के स्तंभ है -

• राज्य साध्य नहीं बल्कि साधन

• व्यक्ति के अधिकार में राज्य

• राजनीति के सवाद इंदा का सिद्धांत

• जनतंत्र पर विचार |


* अरविंद के विचारों का संदर्भ:-

                                                                        
                                                  अरविंद  कि अपने अध्ययन काल से ही  दर्शन मनोविज्ञान तथा आध्यात्मिक में गहरी रुचि  रही हो निरंतर विकसित होती रही देश का कार्य और आंतरिक के साधना दोनों साथ साथ चलती रही इतना मौलिकता वाहन वेजा समय में विषय की सीमाओं के कारण केवल इसे सीमित रूप में  लिया जा सका है |

( 1 ) संवाग धर्म :-
                              आध्यात्मिक विकास के अपने सिद्धांत के अनुरूप अरविंद ने सर्वाग धर्म  का प्रतिपादन किया है ईश्वर कार का धर्म आध्यात्मिक विकास के श्रेणियों में सभी प्रकार के धर्मों का स्थान पाता है मानव जाति के विकास में प्रत्येक  धर्म ने सहायता दी है धर्म में एक मौलिक आवश्यकता की पूर्ति करता है |

( 2 ) देवी सत्ता :-
                           प्रारंभ से अरविंद  एक देवी सत्ता की मान्यता रखते रहे है  उनके अनुसार वे देवी सत्ता कोई मृत एकता नहीं बल्कि एक समृद विविधता है |

( 3 ) व्यक्ति और समाज:-
                                     अरविंद दर्शन देवी सत्ता मैं व्यक्ति और समाज में एक समन्वित संबंध स्थापित करता है व्यक्तिगत मोक्ष सार्वभौम  मोक्ष के साथ हैं सामाजिक आत्मा की अवहेलना करने से मोक्ष का  दृष्टिकोण एकांगी हो जाता है |

( 4 ) अरविंद और राष्ट्रीय शिक्षा:-
                                            अरविंद ने शिक्षा के ऊपर गहराई से विचार किया था ब्रिटिश सरकार के विश्वविद्यालय सिस्टम केवी खिलाफ दे जिसमें कई कई विषयों की भरमार थी परंतु मानविकी विषयों की सख्त कमी थी |

                                          

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