Monday, October 28, 2019

व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ एवं व्यक्तिगत शिक्षण की प्रमुख प्रविधियां

* व्यक्तिगत विभिन्न्ता ( Individual Differences) अर्थ :-
                                                                                    सभी व्यक्तियों या बालकों का अवलोकन करने पर ज्ञात होता हैं कि कोई दो व्यक्ति या बालक सभी प्रकार से एक जैसे नहीं होते है । यहाँ तक कि दो जुड़वा भाई - बहिनों में भी पूर्णरूप से समानता नहीं पायी जाती है । उनमें रूप - रंग , शारीरिक गठन , विशिष्ट योग्यताओं , बुद्धि , स्वभाव आदि परस्पर एक - दूसरे से कुछ न कुछ भिन्न अवश्य होते है । इस प्रकार उनमें पायी जाने वाली इस भिन्नता को ही व्यक्तिगत विभिन्नता कहते है ।
          अतः व्यक्तिगत भिन्नता का अभिप्राय किन्हीं दो व्यक्तियों या बालकों के शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक तथा सामाजिक विभिन्नताओं में भिन्नता से हैं |


* व्यक्तिगत शिक्षण की प्रमुख प्रविधियाँ निम्न हैं :-

व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ एवं व्यक्तिगत शिक्षण की प्रमुख प्रविधियां

( 1 ) प्रोजेक्ट प्रणाली ( Project Method ) -
                                                                  इस पद्धति का जन्म अमेरिका में हुआ तथा इस पद्धति के जन्मदाता किलपैट्रिक थे । उनके अनुसार , प्रोजेक्ट पूरे मन से किया जाने वाला एक उद्देश्यपूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में सम्पन्न होता है । इस प्रणाली में छात्र अपनी रुचि से योजना का चयन करता है , जैसे - मिट्टी के बर्तन बनाना , गुड़िया का घर बनाना , नाटक खेलना , बागवानी करना , जानवरों को पालना आदिायह विधि ' करके सीखो ' सिद्धान्त पर बल देती है । इस विधि में छात्रों को एक - एक कार्य सौंप दिया जाता है जिसे वे मिल - जुल कर पूरा करते हैं जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम या पिकनिक की व्यवस्था करना । योजना के पदों में परिस्थिति निर्माण , चयन , नियोजन , पूर्ण करना , मूल्यांकन तथा अंकन प्रमुख हैं ।


( 2 ) डाल्टन प्रणाली ( Dalton Method ) -
                                                                 इस प्रणाली को मिस हेलेन पार्कहसर्ट ने दिया । इस प्रणाली में छात्र को अपनी योग्यता , क्षमता व रुचि के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होती है । उसे Time - Table के बन्धन में नहीं बाँधा जाता । विद्यार्थी चाहे तो सारे दिन एक ही विषय पढ़ सकता है । इसमें प्रत्येक विषय के लिये प्रयोगशाला बनाई जाती है । इस प्रणाली की मुख्य विशेषता कार्य का ठेका है जिसे छात्र को निश्चित अवधि में पूरा करना होता है । वर्ष भर के कार्य को वह महीनों , सप्ताहों व दिनों में बाँट सकता है । इस प्रणाली में अध्यापक मात्र एक पथ - प्रदर्शक के रुप में कार्य करता है ।


( 3 )  डेक्रोली  प्रणाली ( Decroley Method) :-
                                                                         इस प्रणाली के जन्मदाता डॉ . ओविड डेक्रोली थे जो बेलजियम में प्रोफेसर थे । उनके अनुसार बालक को शिक्षा उसके जीवन से ही मिलनी चाहिये । इस विधि में बालक का विभाजन उनकी रुचि , क्षमता एवं स्तर के निर्देश कर दिया जाता है । फिर उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने दिया जाता है । डेक्रोली प्रणाली में स्कूल का वातावरण प्राकृतिक होता है जहाँ बालकों को उदार शिक्षा दी जाती है । लड़के - लड़कियों को एक साथ शिक्षा दी जाती है तथा इनकी संख्या 20 - 25 होती है । इस प्रणाली में माता - पिता का भी सहयोग लिया जाता है तथा बालकों मे सामहिक भावना का विकास किया जाता है ।


( 4 ) कान्ट्रेक्ट प्रणाली ( Contract Method ) :-
                                                                       यह योजना एक प्रकार से डाल्टन प्रणाली तथा विनेटिका प्रणाली का मिला - जुला रूप है । इसमें छात्र को सप्ताह , महीने या वर्ष भर का कार्य एक साथ ही दे दिया जाता । है । कोई समय - सारणी का बन्धन नहीं होता और न ही पाठ्यक्रम के छोटे - छोटे भाग किये जाते हैं । छात्र को कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता रहती है । वह चाहे तो वर्ष का कार्य 8 महीने में पूरा कर सकता है और यदि वह किन्हीं कारणों से कार्य पूरा नहीं कर पाता तो वह उसे अगले वर्ष पूरा कर सकता है । कार्य की समाप्ति पर उसकी परीक्षा ली जाती है और उसके असफल होने पर उसके कारणों को जानने का प्रयास किया जाता है ।


( 5 ) क्रिया - योजना ( Activity Method ):-
                                                             क्रिया - योजना वस्तुत : कोई योजना नहीं है बल्कि शिक्षण प्रक्रिया का एक पहलू है । अध्यापक का यह प्रयास रहता है कि उसके विद्यार " कक्षा में पूरे समय सक्रिय बने रहें । इसलिये जब तक विद्यार्थी प्रश्न पूछकर पाठ्य - वस्तु को आत्मसात करने की कोशिश नहीं करता , अध्यापक को सन्तुष्टि नहीं होती । इस विधि में अध्यापक छात्र की क्रियाओं का निरीक्षण करता है । छात्र को वही क्रिया सौंपी जाय जो उसके मानसिक स्तर के अनुकूल हो ।


( 6 ) अभिक्रमित अनुदेशन ( Programmed Instruction ) -
                            यह प्रणाली एक प्रकार से विनेटिका प्रणाली का ही रूप है । जिस प्रकार विनेटिका प्रणाली में हम पाठ्यक्रम को छोटी - छोटी इकाइयों में बाँट लेते है वैसे ही ये इकाइयाँ इस अभिक्रमित अनुदेशन में प्रोग्राम कहलाती हैं । अब छात्र एक - एक प्रोग्राम को लेकर चलता है तथा उसे पूरा करता है । एक प्रोग्राम के सफलतापूर्वक कर लेने पर ही उसे दूसरा प्रोग्राम दिया जाता है । जो विद्यार्थी प्रथम प्रयास में प्रोग्राम नहीं सीख पाता उसे feedback दी जाता है तथा जो सीख जाता है उसे Reinforcement दिया जाता है । छात्र को निर्धारित समय सीमा में ही सारे प्रोग्राम करने होते हैं ।


( 7 ) किण्डरगार्टन प्रणाली ( Kindergarten Method ) -
        इस प्रणाली के जन्मदाता फ्रोबेल हैं । किण्डरगार्टन शब्द का अर्थ है ' बच्चों का बगीचा ' । फ्रोबेल शिक्षक को एक माली तथा बच्चे को पौधा मानता है । उसका कहना है कि बालक एक अविकसित पौधा है जो शिक्षक रूपी माली की देखरेख में पनपता है । इस प्रणाली में बालक को पुस्तकों से नहीं लादा जाता बल्कि उसे स्वतन्त्र रूप से हँसने , खेलने , बोलने सन दिया जाता है । इस प्रणाली में बालक खेल खल में सब कुछ सीख जाता है ।


( 8 ) बेसिक शिक्षा प्रणाली ( Basic Education System ) -
                    इस प्रणाली के जन्मदाता गाँधी जी थे । यह प्रणाली बालक के सर्वागीण विकास पर बल देती है । इसमें निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है तथा यह प्रणाली हस्तकला पर आधारित है । शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होता है तथा बालक में आत्म - निर्भरता एवं आदर्श नागरिक के गुणों का विकास किया जाता है । छात्र को देशप्रेम तथा सत्य एवं अहिंसा की शिक्षा दी जाती है । यह प्रणाली बाल - केन्द्रित शिक्षा पर बल देती है ।

              उपरोक्त सभी पद्धतियाँ , खेल - प्रणाली के प्रमुख सिद्धान्तों - स्वतन्त्रता का सिद्धान्त , रुचि का सिद्धान्त , स्व - शिक्षा का सिद्धान्त , उत्तरदायित्व का सिद्धान्त आदि पर आधारित हैं । इन पद्धतियों के समुचित रुप से क्रियान्वयन के लिये सुयोग्य शिक्षक का होना परमावश्यक है ।

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