Tuesday, October 22, 2019

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में कांग्रेस समाजवादियों की दलीय सहभागिता तथा लोकतांत्रिक समाजवाद का युग

* कांग्रेस समाजवादियों की दलीय सहभागिता :-
                                                                 बहुल विचारवादी कांग्रेस में समाजवादी नेताओं ने एक वामपंथी लॉबी का निर्माण अवश्य किया पर वे एक व्यापक जनाधार प्रस्तुत नहीं कर पाए | स्वतंत्रता की वेला मैं समाजवादी अपनी भूमिका के प्रति अनभिज्ञ दृष्टिगोचर हुए तथा बी एक संगठित राजनीतिक दल की भूमिका का निर्माण करने में भी सर्वथा असमर्थ सिद्ध हुए |

* ( जॉन. एस. ब्लेकटॉन ) :-
                                      वह एक ऐसे सामाजिक वातावरण में संघर्ष कर रहे थे जिसमें सामन्ती तथा पूंजीवादी शक्तियों का वर्चस्व था,  तथा वे एक ऐसे अविकसित अर्थव्यवस्था या संरचना को संजोने के लक्ष्य में जुड़े हुए थे | तथापि जिससे समाज में जातीय  विभेदीकरण के कारण सामाजिक तथा आर्थिक जड़ता अपनी गहरी जड़े जमाए  हुए हो | उसे सामाजिक व्यवस्था से और आशा भी क्या की जा सकती है |

* एल. पी. सिन्हा :-
                             कांग्रेस समाजवादी दल ने कांग्रेस नीति में सामाजिक आर्थिक तत्व प्रदान करने में महती भूमिका का निर्वहन किया है तथा उसने स्वतंत्रता संग्राम को एक तीष्णता भी प्रदान की |

* कांग्रेस समाजवादी दल का उदय :-
                                                   निस्संदेह भारत के समाजवादी इतिहास में कांग्रेस समाजवादी दलिए चरण का विशिष्ट  महत्व रहा है इस प्रसंग में शिकागो विश्वविद्यालय में टॉमस ए रस्ख दिल्ली विश्वविद्यालय के बिवेकवृत रॉय तथा ऑन एस ब्लैक्टन ने कालजयी तथा दिशाबोधक अध्ययन प्रस्तुत किए गए हैं |

 कांग्रेस समाजवादी दल के गठन से पूर्व 1930 मे स्वामी सहजानंद सरस्वती कि किसान सभा में दिसंबर ( 1931 ) मह बिहारी समाजवादी दल तथा जुलाई ( 1933 ) मैं बंगाल समाजवादी दल की आधारशिला रखी गई थी तथा ( 1933 ) मैं ही जब नासिक ( महाराष्ट्र ) मैं सीति कृष्णमंदिर में सर्व श्री जयप्रकाश नारायण,  अशोक मेहता, श्रीधर महादेव जोशी तथा नारायण गणेश गोरे मिले तब उन्होंने यह संगठित समाजवादी आंदोलन चलाने की रूपरेखा बनाई - जिसका लक्ष्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था |
 
 
* वैज्ञानिक समाजवाद तथा साम्यवादी दल के प्रति मंत्री भाव का युग ( 1934- 1940 ) :-
                                                                                                                         कांग्रेस समाजवादी दल के संस्थापक सदस्य तथा दो दशक तक महासचिव जयप्रकाश नारायण अपने संयुक्त राज्य अमेरिकी प्रकसकल मैं मानवेन्द्र नाथ रॉय से इतने प्रभावित हुए कि वे वैज्ञानिक समाजवाद तथा साम्यवादी दल के प्रति मंत्री भाव रखने के नारदमोह से ग्रसत हो गए | विवाद का कारण यह था कि पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य घोषित होते ही दल पर प्रतिबंध लगने की आशंका  कि अतएव इस  विषय मेंडॉक्टर राम मनोहर लोहिया के संशोधन अस्वीकार कर दिया गया | तदुपरान्त जब कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना सम्मेलन अक्टूबर 21-22,  1934 को बॉबे ( मुंबई ) मैं हुआ | ऐसी स्थिति में कांग्रेस समाजवादी दल के नेतृत्व में भी डॉक्टर लोहिया का संशोधन स्वीकार कर लिया इस पर का नवोदय का उद्देश्य पूर्ण स्वाधीनता तथा समाजवादी समाज की स्थापना हो गया |

 * कांग्रेस समाजवाद की स्थापना के उद्देश्य :-
                                                                कांग्रेस समाजवादी दल का स्थापना सम्मेलन अक्टूबर (1934 ) मै बॉम्बे ( मुंबई ) वरली स्थित रेडीमनी टेरेस  हुआ - जिसकी अध्यक्षता डॉ संपूर्णानंद का नया विधान एवं कार्य प्रणाली विषयक अनेक प्रस्ताव स्वीकार किए गए |
• पूर्ण स्वतंत्रता की स्थापना |
• नियोजित अर्थ तंत्र द्वारा विकास
• प्रमुख उद्योगों का सामाजिकरण
• जमीदारों जागीरदारों तथा राजा रजवाड़ों की संपत्ति का बिना कोई क्षति पूर्ण किए बिना अधिग्रहण करना
• जाति धर्म भाषा तथा लिंग के आधार पर भेदभाव रहित एक की स्थापना करना |
 जनवरी20, 1936 को कांग्रेस समाजवादी दल का द्वितीय ऐतिहासिक सम्मेलन उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला मुख्यालय पर श्रीमती कमला देवी चट्टोपाध्याय के अध्यक्षता में हुआ यहां पर ऐतिहासिक शब्द का प्रयोग का अभिप्राय यह है कि सम्मेलन में दल ने वैज्ञानिक समाजवाद अर्थात मार्शल वाद को साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष में विजय श्री प्राप्ति का एकमात्र मार्ग स्वीकार किया |

*लोकतांत्रिक समाजवाद का युग :-
                                            ( 1940 - 1948 )  1940 में आयोजित रामगढ़ अधिवेशन से ही वे स्वतंत्रता एवं समाजवाद की धारणाओं के मध्य विचार सेतु बनाने अर्थात लोकतांत्रिक समाजवाद लाने की दिशा में प्रयत्नशील होने लगे थे उदाहरण थे उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रस्ताव रखते हुए यह क्या है | समाजवादी भारत में राज्य पुणे ते लोकतांत्रिक प्रकृति का होना क्योंकि लोकतंत्र के अभाव में समाजवाद की कल्पना करना भी असंभव है लोकतंत्र से हमारा आशय है
• श्रमिकों के एक से अधिक राजनीतिक दल होंगे
• श्रमिक संघों स्थानीय निकायों तथा सहकारी समितियों को अपने निजी प्रसारण समाचार पत्रों तथा विद्यालयों द्वारा अपने प्रचार-प्रसार की सुविधा होगी
• श्रमिक संघ सरकार का एक अंग बनाने की अपेक्षा उसके कार्यों पर एक नियंत्रक की भूमिका निभाने की दिशा में अधिक प्रयत्नशील होंगे |

1939 मैं प्रारंभ हुए द्वितीय महा समर के प्रभाव भारत में भी परिलक्षित होने लगे थे विशेष्य जापान द्वारा चीन तथा सहित राज्य अमेरिकी दवीप पर्ल हार्बर मैं आक्रमण के पश्चात वर्मा तक हवाई आक्रमण के पश्चात काली काटता कोलकाता के मारकंडी विषयों को यह भय सताने लगा था कि कि उनका अस्तित्व भी संकट में है दूसरी तरफ बिर्तानियाई शासन के एक पक्षी यह घोषणा कर दी कि भारतीय राज्य भी उनकी तरफ से  फांसीकरी नाजीकदी राष्ट्रों के विरुद्ध युद्ध करेगा |

• गांधीवादी रुझान :-
                                स्मरणीय है चुकी अगस्त 12 के प्रस्ताव तथा गांधी मूल मंत्र के आधार पर समस्त जन गाण   ने स्वत : स्फूर्त विदोह के मार्ग का वर्णन किया 23 अगस्त क्रांति की संख्या देना उनकी देखा जाएगा | इस कठिन परिस्थितियों में कांग्रेस समाजवादी नेतृत्व ने इस क्रांति का ने केवल कार्यभार संभाला वर्ण और एक सफल भूमिगत आंदोलन का भी सफलतापूर्वक संचालन किया उदाहरण थे जयप्रकाश नारायण,  डॉ राम मनोहर लोहिया,  पुरुषोत्तम, मोहनलाल सक्सेना, रामानंद मिश्र,  श्रीधर महादेव जोशी, इत्यादि नेताओं ने मिलकर है केंद्रीय संचालन मंडल बनाया

( 1 ) हजारीबाग जेल से जयप्रकाश, सूरज नारायण,  रामानंद मिश्र,  तथा योगेश शुक्ल आदि निकले, भाग्य जिससे जनता को प्रेरणा मिली
   
( 2 ) बलिया उत्तर प्रदेश में जनता राज स्थापित हो गया था वहां जिला दंडनायक तथा कलेक्टर हिरासत में लिए गए उसके प्रधानमंत्री के कांग्रेसी नेता चितु पांडे बनाए गए जिन्होंने अपने मंत्रिमंडल की भी घोषणा कर डाली है इससे कल में रेलवे की पत्नियों तथा पटरियों  आदि तो डाली गई और संपूर्ण बलिया जिला उनके नियंत्रण में आ गया |
 नवंबर 9, 1942 को हजारीबाग कृष्णा मंदिर पुलिस ने उन्हें( जयप्रकाश को हिरासत में लेने में सफलता प्राप्त की जबकि अंत में सतत प्रयत्नों के पश्चात  मई 20,  1944 को बम ( मुंबई ) मैं डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को गिरफ्तार किया गया | 

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