Saturday, October 26, 2019

भारत संघ मैं देशी राज्यों का अधिमिलन एवं अधिमिलन के लिए भारत सरकार के प्रयास और अधिनियम की प्रक्रिया

* भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ( 1947 ):-

                                                                                                                                                  द्वितीयमहा युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आंदोलन अपने यौवन की चरम उत्कर्ष पर पहुंच गया अंततः ब्रिटेन की  श्रमिक सरकार के प्रधानमंत्री अटली  ने भारत की संवैधानिक समस्याओं के समाधान के लिए कैबिनेट मिशन ( मार्च, 1946 ) भारत भेजा | कैबिनेट मिशन ने 16 मई 1946 को अपने प्रस्तावों को प्रकाशित किया उनमें से केवल सविधान सभा का गठन ( 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन प्रारंभ हुआ प्रांतों के अनिवार्य समूह संबंधित मिशन के प्रस्ताव पे कांग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभेद होने के कारण लीग ने 29 जुलाई 1946 को कैबिनेट मिशन योजना को अस्वीकृत कर दिया इस गतिरोध ने भारत विभाजन का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया |

* भारत संघ में देशी राज्यों का अधिमिलन:-

                                                                                                                                               अप्रैल 1947 के अंत में रियासतों के प्रतिनिधियों ने संविधान सभा में अपना स्थान ग्रहण कर लिया परंतु लगभग 565 देसी राज्यों की भारत संघ में एकीकरण अधिमिलन  के मार्ग में अनेक समस्याएं बाधाएं थी

( 1 )29 जनवरी1947 को मुंबई में देशी  राज्यों के शासकों का एक  सम्मेलन हुआ जिस में प्रस्ताव पास किया गया कि  प्रत्येक राज्य स्वयं निश्चित करेगा कि संघ  में शामिल हो या ने हो
( 2 ) माउंट बेटन ने 13 जून 1947 को रियासतों के मसले पर विचार - विमर्श हेतु दलीय नेताओं की एक बैठक बुलाई उसमें मुस्लिम लीग के जीना का तर्क था की परमोच्च शक्ति का हस्तांतरण नया डोमिनियनओ को नहीं किया गया
( 3 ) काठीयावाड, राजस्थान, पंजाब,  दक्षिणी उड़ीसा,  तथा छत्तीसगढ़ की रियासतों ने क्षेत्रीय संघों के निर्माण का विचार किया कांग्रेस ने इस योजना का विरोध किया क्योंकि क्षेत्रीय संघ का विचार भारतीय राष्ट्रवाद तथा एकता के विरुद्ध था
( 4 ) राजनैतिक विभाग के प्रधान सर कॉनरेड कोरफिल्ड ने भी भारत डोमिनियन सरकार के लिए कठिनाइयां पैदा करने के अनेक प्रयास किए
( 5 ) हैदराबाद रियासत के निजाम ने दूरगामी संवैधानिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए 1945 मैं पुर्तगाल की सरकार से गोवा को खरीदकर समुंद्री निकासी मार्ग की मांग की

* अधिमिलन के लिए भारत सरकार के प्रयास :-

                                                                                                                                      त्रावणकोर के दीवान और हैदराबाद के निजाम द्वारा जून 1947 मैं अपने रियासतों को स्वतंत्र संप्रभु राज्य के रूप में स्थापित करने की घोषणा का कांग्रेस नेताओं ने प्रबल  विरोध किया अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने 15 जून 1947 को प्रस्ताव पास किया कि किसी भी भारतीय रियासत द्वारा अपने को स्वतंत्र  घोषित करने का अधिकार नहीं है 
27 जून 1947 को भारत सरकार के अंतर्गत रियासत विभाग खोला गया | वल्लभभाई पटेल इसके प्रभारी मंत्री और वी. पी. मेनन इसके सचित बने |  भारत संघ में रियासतों के अधिमिलन के संदर्भ में पटेल नेहरू माउंट बेटन और मेनन के राजनैतिक कौशल और राजनीतिक चातुर्य का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है |

* अधिनियम की प्रक्रिया:-

                                                        राज्य विभाग ने अधि  मिलन लेखपत्र को 31 जुलाई 1947 को अंतिम रूप दिया इसके अनुसार रियासतों के शासकों को तीन विषयों पर भारतीयों के डोमिनियम में अधिनियम करना था यह तीन विषय थे  प्रति रक्षा, विदेश मामले, और संचार इस अधिमिलन लेखपत्र के अनुसार रियासतों को किसी भावी  संविधान को मानने के लिए प्रतिबद  नहीं किया गया | 

* मगरोल, मानवादर, तथा जूनागढ़ का अधिमिलन :-

                                                                                                                  जूनागढ़ मंगरोल तथा मानवादर के शासक तो मुसलमान थे परंतु उनकी  जनसंख्या में हिंदुओं का विशाल बहुमत था जूनागढ़ का नवाब मंगरोल तथा बबरियावाडे के अपने रियासत का अंग समझता था 

*  हैदराबाद का विलय :-

                                                          इस बड़ी रियासत का शासक निजाम मुसलमान था परंतु इसकी 85 प्रतिशत हिंदू थी  जून 1947 मैं हैदराबाद में स्वतंत्र राज्य बने रहने की घोषणा की भारत सरकार ने जुलाई 1947 मैं निजाम से समझौता वार्ता प्रारंभ की निजाम ने यथास्थित अनुबंध का पालन नहीं किया और भारत सरकार के विरूद्वव अमंत्रीपूर्ण कदम उठाइए जैसे पाकिस्तान से संपर्क करना पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपए का ऋण देना सैनिक तैयारी करना

* कश्मीर का भारत संघ में अभिमिलन :-
                                                       कश्मीर का शासक हिंदू था और जनसंख्या में मुसलमानों का बहुमत था भौगोलिक स्थिति के कारण कश्मीर का सामाजिक महत्व था 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर के साथ यथास्थिति अनुबंध को स्वीकार करने की घोषणा की बॉर्डर ने कश्मीर सरकार से अनुरोध किया कि वे राज्य के लोकगीत नेताओं के माध्यम से भेजें बाद में पाकिस्तान ने यथास्थिति अनुबंध का पालन नहीं किया और कश्मीर पर आर्थिक एवं सैन्य दबाव डालना शुरू किया |

1 comment:

  1. Aapne bahut acha likha hai es post मे
    और esi prakar ki jankari ke liye aaye
    iucn kya hai की सम्पूर्ण जानकारी

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